The 19th century is considered to be the century of religious and social renaissance in India. During this period, people influenced by western education started testing social traditions, religion, customs and cultural traditions on the touchstone of logic and tried to give a new direction to the society. Swami Vivekananda's place in this context is very important. Swami Vivekananda has played an important role in the field of social, religious and political renaissance in India. A great man thinks, understands and expresses his views about the situation of his time. The poverty, education, agriculture, women empowerment and other major problems that existed in Swami Vivekananda's time have not ended even today. Vivekananda had also thought about them at that time and also suggested ways to deal with them, but today's ruling people do not have the time to pay attention to them. Not only this, these learned men have also created different types of Vivekanandas according to their convenience. Abstract in Hindi Language: 19वीं सदी को भारत में धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण की सदी माना जाता है। इस दौरान पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित लोगों ने सामाजिक परम्परा, धर्म, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक परम्पराओं को तर्क की कसौटी पर कसना शुरू किया और समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश की। इस कड़ी में स्वामी विवेकानंद का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। स्वामी विवेकानंद ने भारत में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। महापुरुष अपने समय की स्थिति के बारे में सोचता, समझता और अपने विचार रखता हैं। जो गरीबी, शिक्षा, खेती, महिला सशक्तिकरण और अन्य बड़ी समस्याओं स्वामी विवेकानंद के समय में थी , वे आज भी समाप्त नहीं हुई हैं। उस समय पर विवेकानंद ने भी विचार किया था और इनका सामना करने के तरीके भी बताए थे लेकिन आज के सत्तारूढ़ लोगों को इन पर गौर करने की फुर्सत ही नहीं है। इतना ही नहीं, इन ज्ञानी-पंडितों ने अपनी सुविधा के अनुसार तरह-तरह के विवेकानंद भी गढ़ लिए हैं। Keywords: स्वामी विवेकानंद, दर्शन, पुनर्जागरण, सामाजिक, राजनीतिक।
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