Abstract

Hegel, a well-known scholar of Jammani, has placed music in the category of love arts. Indian music has been called the essence of all four languages. Music has been worshiped extensively in India and has been worshiped as Veena Vavadani. Sa vidya or liberation is music. In the divine period, the reins of music were in the hands of Brahmins. In this period, music flourished in religious atmosphere. Samudragupta was self-effacing. In this period, music began to develop in Rajashraya. Classical and folk music was also promoted. Kaval Das and Bhasa, the great poet and playwright of Sanskrit, wrote important texts in this period. The Rajputs were ruled after the Gupta period. Indian music, which was embedded in the thread of unity, began to be divided into two streams, the music of North India and the music of South India. Important texts of music were written. In the Muvassalam era, Sharangadee wrote a famous book of music called Sangeet Ratnakara. During this period, Amir Khusro brought a new verse in the field of music. The origins of the plants became popular for singing songs and singing ghazali. Bhagakat music was emphasized during the Mughal period. Dhrupad Dhamar singing was popular. The reign of Akbar in the Mughal period has been called the era of music. During this period, musicians and artists enjoyed royalty, and art greatly developed.

Highlights

  • शासन द्वारा सन 1956 में इवन्दरा कला संगीत विश्वविद्यालय खोला गया। सरु वसंगार, संगीत समाज विवभन्न प्रांतीय म्यवू ज़कल सकम ल्स आवद संस्थाओं द्वारा ममु ्बई, अजमेर, कलकत्ता, वदल्ली, बनारस, इलाहाबाद, आगरा, जयपरु , हदै राबाद आवद बड़े-बड़े शहरों में श्रेष्ठ स्तर के संगीत सम्मेलनों एिं सभाओं का आयोजन होता रहा है वजससे शास्त्रीय संगीत के प्रवत जन सामान्य में उत्साह जागतृ हुआ और अनेक स्थानों पर संगीत विद्यालयों की स्थापना हुई। स्ितंत्रता के पश्चात गायन-िादन का विषय स्कू ल-वशिा में एक ऐवच्छक विषय के रूप में स्िीकृ त वकया गया। विवभन्न माध्यवमक वशिा बोडों ि विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर संगीत विषय के पाठ्यक्म तैयार वकये गये और इसके वशिण की समवु चत व्यिस्था की गई। अत: स्पष्ट है वक इन संस्थाओं के माध्यम से संगीत का प्रचार-प्रसार खबू हुआ।

  • संगीत कला के प्रचार प्रसार का एक माध्यम रेवडयो एिं दरू दशनम ह,ै वजसको घर बैठे दखे ा ि सनु ा जाता ह।ै संगीत के विकास और प्रचार में आधवु नक िजै ्ञावनक साधनों में आकाशिाणी एक मखु ्य साधन ह।ै रेवडयो संगीत के वलये िरदान वसद्ध हुआ ह।ै टेवलफोन, बेतार के तार से सम्बवन्धत रेवडयो एक इलेक्ट्रॉवनक मीवडया ह।ै भारत में पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ विभाग ने द टाइम्स ऑफ इवं डया के सहयोग से संगीत के कायमक्म का प्रसारण ममु ्बई से अगस्त 1921 ई में प्रारम्भ वकया। मद्रास प्रेसीडेंसी क्ट्लब के नाम से 16 मई 1924 को प्रसारण आरम्भ हुआ, सन 1954 से 1961 ई के मध्य अवखल भारतीय सगं ीत, िाताम, नाटक आवद राष्रीय कायमक्मों का प्रसारण हुआ। 30 अक्ट्टूबर 1957 को अवखल भारतीय कायमक्म प्रारम्भ वकया गया वजसे विविध भारती नाम वदया गया। लोकगीत, नाटक, सांस्कृ वतक बहुरंगी कायमक्मों द्वारा राष्रीय चेतना को जागतृ करने की वदशा में इस विशाल योजना की अहम भवू मका थी। आकाशिाणी के माध्यम से वफल्म संगीत, भवक्त संगीत, सगु म संगीत, शास्त्रीय संगीत आवद का प्रसारण होता रहा ह।ै उच्चकोवट के संगीतज्ञ रेवडयो की उपयोवगता को स्िीकार कर रहे ह,ैं रेवडयो के महत्ि को भलु ाया नहीं जा सकता ह।ै संगीतज्ञों को रेवडयो के माध्यम से अतं :प्रेरणा वमलती रही ह।ै मद्रास, लाहौर, इलाहाबाद, पेशािर, दहे रादनू आवद स्थानों से सिमप्रथम संगीत के कायमक्म प्रसाररत हुए। 23 जलु ाई 1927 से बम्बई से आकाशिाणी के न्द्र ने प्रसारण शरु ु वकया, इसके बाद कलकत्ता के न्द्र की स्थापना हुई। इसके बाद वदल्ली, पनू ा, श्रीनगर, जम्मू राजकोट, जयपरु , इन्दौर, वशमला, भोपाल आवद अनके आकाशिाणी के न्द्रों से शास्त्रीय संगीत का प्रसारण होने लगा। विविध भारती आकाशिाणी का कायमक्म 3 अक्ट्टूबर 1956 को प्रारम्भ वकया गया और बंगलौर, इन्दौर, कनामटक, जयपरु , कलकत्त आवद के न्द्रों से विविध भारती के कायमक्म प्रसाररत होने शरु ू हो गये थे।

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