Abstract
मानवीय अर्थव्यवस्थाओें में कृषि का विशेष महत्व है। जीविकोपार्जन की प्रक्रिया में आखेट, पशुपालन एवं वन्य संसाधनों पर दीर्घकाल तक निर्भरता के उपरान्त मनुष्य धीरे-धीरे कृषि विधियों को अपनाने लगा और कालान्तर में वह इन्हीं के द्वारा जीविकोपार्जन करने लगा। आज मानव के भरण-पोषण में कृषि का योगदान प्रमुख है। इसी पर आधारित अन्य व्यवसाय भी मानवीय क्रियाओं से जुड़कर उसकी आधुनिक सभ्यता के प्रतीक बन गये हैं। कृषि उपयोग के सिद्धान्त इस संदर्भ पर निर्भर है कि भूमि के निश्चित क्षेत्र से किन विधियों द्वारा अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाय और कृषि कार्य में प्रयुक्त लागत अपेक्षाकृत निम्नतम हो जिससे उत्पादन में अधिकतम लाभ सुलभ हो सके। भूमि उपयोग किसी भी क्षेत्र विशेष में विभिन्न मदों में भूमि के उपयोग की मात्रा और उसके अधिकतम उपयोग का विश्लेषण करता है। किसी भी क्षेत्र के समावेशी विकास हेतु नियोजत भूमि उपयोग की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत शोध पत्र में अध्ययन क्षेत्र अमेठी जनपद (उ.प्र.) में भूमि उपयोग प्रतिरूप का अध्ययन और नियोजित भूमि उपयोग के सुझावकारी विश्लेषित उपायों पर शोधपरक अध्ययन किया गया है। शोध हेतु प्राथमिक ऑकड़ों का संग्रह प्रश्नावली तथा साक्षात्कार विधि से तथा द्वितीयक स्रोत के आँकड़ों का संग्रह सरकारी गैर-सरकारी संस्थाओं से प्राप्त आँकड़ों के द्वारा किया गया है। शोध समावेशी और उपयोगी हो सके, इसलिए पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों और जन प्रतिक्रिया को विशेष महत्व दिया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र में लेखों और जन प्रतिक्रिया को विशेष महत्व दिया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र अध्ययन क्षेत्र जनपद अमेठी के समग्र समावेशी विकास हेतु, योजना और नीतियों के निर्माण में सहयोगी सिद्ध होगा।
Talk to us
Join us for a 30 min session where you can share your feedback and ask us any queries you have
Similar Papers
More From: International Journal of Reviews and Research in Social Sciences
Disclaimer: All third-party content on this website/platform is and will remain the property of their respective owners and is provided on "as is" basis without any warranties, express or implied. Use of third-party content does not indicate any affiliation, sponsorship with or endorsement by them. Any references to third-party content is to identify the corresponding services and shall be considered fair use under The CopyrightLaw.